चिरगांव । जैन मुनि विलोक सागर जी महाराज एवं विबोद सागर जी महाराज ने गुरुवार को चिरगांव से झांसी की ओर पद बिहार किया।उनके साथ जैन मंदिर से बड़ी संख्या में जैन श्रावक ढोल नगाड़ों तथा जयकारों के साथ चल रहे थे।
इसके पूर्व जैन मंदिर के श्रवण संस्कृति भवन में अपने प्रवचनों के दौरान मुनि राज ने कहा कि मोक्ष मार्ग में जाने के लिए अनुकूलता एवं प्रतिकूलता आती रहती है।लेकिन हमें दोनों परिस्थितियों में साम्य भाव रखना चाहिए। तभी मोक्ष मार्ग पर जा सकते हैं।
मोक्ष मार्गियों को कभी किसी पर आसक्त नहीं होना चाहिए। उन्हें निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए तभी मोक्ष मार्ग मिल सकता है।
मनुष्य को प्रत्येक प्राणी के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए। मैत्री कभी किसी को सीमा में नहीं बांधती है। जबकि राग हमेशा सीमा में बांधता है।उनका मानना था कि पाप कहीं भी किया जा सकता है ।इसके लिए कोई निश्चित स्थान नहीं है। इसी प्रकार पुण्य भी कहीं भी कर सकते हैं।इसके लिए भी जगह निश्चित नहीं है।
जैन मुनि ने कहा कि जिस तरह बच्चे को अपनी मां पर भरोसा रहता है ।कि किसी भी परिस्थिति में मां उनकी रक्षा करेगी। उसी प्रकार हमें भी अपने धर्म पर विश्वास होना चाहिए कि धर्म ही हमारी रक्षा करेगा।
इस अवसर पर ऋषभ बाबा,मोनू जैन,मुकेश जैन,सलिल जैन,निर्मल जैन,राजेंद्र जैन,नीरज जैन,मनीष जैन,विजय जैन ,सागर जैन मौजूद रहे।
रिपोर्ट – राजेंद्र जैन